इतिहास

सन् 1773 से 1858 के बीच ‘‘ब्रिटिश  इण्डिया’’ में  विद्यमान तीनों ‘‘प्रेसीडेंसीज’’ में सरकारी निर्माण कार्यों के लिए एक-एक अलग सैन्य परिषदें थीं। सैन्य परिषद विचार से हटकर एक सार्वजनिक निर्माण विभाग (पी0डब्लू0डी0) की स्थापना सन् 1849 में नये बनाये गये पंजाब सूबे में प्रायोगिक तौर पर की गई।

सन् 1850 में ‘‘ कोर्ट आफ डायरेक्टर्स’’ के अधीन एक आयोग का गठन किया गया जिसने संस्तुति दी कि प्रत्येक ‘‘स्थानीय सरकार’’ के अधीन नागरिक एवं सैन्य सार्वजनिक कार्यों  का सम्पादन समुचित सीमाओं के अन्तर्गत स्वयं होना चाहिए इसी विचार के अधीन बंगाल तथा बाद में बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेन्सीज में कुछ सुधारों के साथ इस प्रणाली का प्रयोग आरम्भ ब्रिटिश  इण्डिया में किया गया।

उत्तर प्रदेश  (तत्कालीन पश्चिमोत्तर  प्रान्त) में सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना का आरम्भ पंजाब के बाद सन् 1854 के आस-पास किया गया। उस समय भारत में सार्वजनिक निर्माण विभाग (लोक निर्माण विभाग) के अन्तर्गत निम्न कार्य सम्पादित होते थे:-

  1. भवन व मार्ग कार्य
  2. सिंचाई कार्य
  3. रेलवे के कार्य
  4. सैन्य कार्य

सन् 1854 में भारत सरकार में उपरोक्त सार्वजनिक कार्यों हेतु एक सचिव की नियुक्ति की गई। सन् 1863-64 एवं 1865-66 में (तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रान्त) में कर्नल डब्ल्यू0ई0 मार्टिन, मुख्य अभियन्ता थे जिनके अधीन तीन सर्किल व 20 डिविजन थे। सन् 1864-65 में कर्नल डी0जे0 हौड्गसन, मुख्य अभियन्ता एवं सचिव रहे। सन् 1870 के मध्य थामसन कालेज रूड़की से पहले, सार्वजनिक निर्माण विभाग के लिए इंजीनियरों की भर्ती तीनों प्रेसीडेन्सीज के ‘‘इंजीनियरिंग कोर’’ से की जाती थी। 40 प्रतिशत इंजीनियर्स ‘‘रॉयल इंजीनियर्स’’ (Royal Engineers) 30 प्रतिशत  भारत के इंजीनियरिंग कालेजों से तथा 30 प्रतिशत इंग्लैण्ड के ‘‘स्टैनली इंजीनियर्स’’ से भर्ती  होती थी।

सन् 1870-71 में निर्माण विभाग का पुनर्गठन किया गया जिसके अनुसार हर कमिश्नरी में एक अधिशासी अभियन्ता (Executive Engineer) निर्माण कार्य के अतिरिक्त कमिशनर के सचिव के रूप में भी रहता था। इसी प्रकार हर जिले में जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) के पास एक जिला अभियन्ता (District Engineer) रखा गया जो अधिशासी अभियन्ता (Executive Engineer) का उप खण्डीय अधिकारी (Sub Divisional Officer) कहलाता था।

इस बीच सन् 1871 में प्रान्त के नाम के साथ ‘‘अवध ’’ जोड़ा गया। सन् 1882 में स्थानीय स्वशासित निकायों (Local Self Government Scheme) की योजना के अन्तर्गत कम महत्व के कार्यों व स्थानीय परिषदों के कार्य जिला परिषद (District Boards) को सीधे सौंपे गये तथा इसी बीच सार्वजनिक निर्माण विभाग के पुनर्गठन कर जिला मजिस्ट्रेट (Collector) का निर्माण विभाग के अधिष्ठान से नियंत्रण समाप्त कर दिया गया था।

सन् 1894 में थामसन कालेज, रूड़की पर सा0नि0वि0 का नियंत्रण हटा दिया गया और इसे शिक्षा  विभाग के अन्तर्गत कर दिया गया।

सन् 1901 में वर्तमान उत्तर प्रदेश का नाम संयुक्त प्रान्त (United Province) रखा गया । सन् 1919 में भारत सरकार के एक कानून द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग को प्रान्तीय सेवा बना दिया गया। तब से विभाग में निम्नवत् परिवर्तन हुए:-

  

वर्ष 1923 सचिव पी0डब्लू0डी0 एवं मुख्य अभियन्ता का कार्यालय इलाहाबाद से लखनऊ स्थानान्तरित  किया गया।
6 मई, 1924 कानपुर में विभाग के अभियन्ताओं द्वारा यूनाईटेड प्राविन्सेज इन्जीनियर्स एसोसिएशन (United Provinces Engineers’ Association) का गठन किया गया।
वर्ष 1927 सा0नि0वि0 से अलग सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की स्थापना तथा नियंत्रण नागरिक परिषद को दिया गया।
वर्ष 1931  सा0नि0वि0 से रेलवे कार्य अलग कर दिये गये।
अप्रैल 1933 श्री राय बहादुर छुट्टन प्रथम भारतीय मुख्य अभियन्ता बनाये गये।
वर्ष 1938 सा0नि0वि0 से सिंचाई कार्यों को पृथक कर सिंचाई विभाग स्थापित किया गया।
वर्ष 1940-41   उक्त कार्यों को पृथक करने से सा0नि0वि0 में एक मुख्य अभियन्ता, 02 अधीक्षण अभियन्ता तथा 07 अधिशासी अभियन्ता रह गए ।
वर्ष 1944 इसी बीच द्वितीय विश्व  युद्ध के कारण सैन्य अभियन्त्रण (M.E.S.) के कार्यों की गति बढ़ गई और 1944-45 से 02 मुख्य अभियन्ता, 05 अधीक्षण अभियन्ता व 22 डिविजनल आफिसर हो गये
वर्ष 1945   थामसन इन्जीनियरिंग कालेज रूड़की पुनः विभाग के नियन्त्रणाधीन हुआ।
वर्ष 1946 सा0नि0वि0 में एक रिसर्च इन्स्टीट्यूट भी खोला गया।
वर्ष 1947 स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् प्रान्त का नाम उत्तर प्रदेश हो गया।
वर्ष 1948 थामसन इंजीनियरिंग कालेज रूड़की, यूनिवर्सिटी बनकर  शिक्षा विभाग के तहत हो गया।
वर्ष 1963 इंजीनियरों द्वारा विभागीय पद्वति से स्वयं देखरेख में कार्य करने के प्रयोग के रूप में D.C.U. (विभागीय निर्माण ईकाई) की स्थापना की गई।
वर्ष 1965 आवासीय योजनाओं को गति प्रदान करने हेतु आवास विकास परिषद की स्थापना की गयी।
वर्ष 1970 ग्रामीण विकास को गति प्रदान करने हेतु ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा तथा लघु सिंचाई विभाग की स्थापना की गयी।
वर्ष 1972 सेतु कार्यों को गति प्रदान करने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम की स्थापना की गयी।
वर्ष 1972 L.S.G.E.D. का जल निगम में परिवर्तन किया गया।
वर्ष 1976 नलकूप निगम की स्थापना की गयी ।
वर्ष 1976     सेतु निगम की सफलता के आधार पर विभागीय रीति से भवन निर्माण कार्य हेतु, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम की स्थापना हुई, जिसने भवन निर्माण के क्षेत्र में प्रदेश का गौरव बढ़ाया।
विद्युत उत्पादन व वितरण हेतु राज्य विद्युत परिषद का गठन किया गया।
सिंचाई विभाग में ट्यूबवेल कार्पोंरेशन का गठन किया गया।
जल निगम में कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विसेज के नाम से Consultancy Corporation का गठन किया गया।
वर्ष 1980 प्रदेश को चार क्षेत्रों, पष्चिम, मध्य, पूर्वी एवं पर्वतीय क्षेत्र में बांटते हुये मेरठ, लखनऊ, वाराणसी व गढ़वाल को मुख्यालय बनाते हुए क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं की तैनाती की गयी।
02.11.1983 मुख्य अभियन्ता (भवन) की तैनाती की गयी।
27.02.1985 पूर्वी क्षेत्र वाराणसी से पृथक कर गोरखपुर क्षेत्र बनाते हुए मुख्य अभियन्ता की तैनाती की गयी।
01.06.1985 मुख्य अभियन्ता (राष्ट्रीय मार्ग) की तैनाती की गयी।
04.06.1985 पश्चिम क्षेत्र मेरठ से पृथक कर उत्तर पश्चिमी क्षेत्र बरेली व मध्य क्षेत्र लखनऊ से पृथक कर दक्षिण मध्य क्षेत्र कानपुर बनाते हुए मुख्य अभियन्ताओं की तैनाती की गयी।
01.08.1987 मुख्य अभियन्ता (वि/यां) की तैनाती की गयी।
07.09.1987 कानपुर क्षेत्र से पृथक कर झांसी, बरेली क्षेत्र पृथक कर आगरा व गोरखपुर क्षेत्र पृथक कर फैजाबाद क्षेत्रों को बनाते हुए मुख्य अभियंताओं की तैनाती की गयी।
10.04.1990 सार्वजनिक निर्माण विभाग का नाम लोक निर्माण विभाग में परिवर्तित कर दिया गया।
05.12.1990 वाह्य सहायतित विश्व बैंक (मार्ग परियोजना) के कार्यों  के सम्पादन हेतु मुख्यालय लखनऊ पर मुख्य अभियन्ता (स्तर-1) का पद स्वीकृत किया गया।
11.10.1990 क्षेत्रीय मुख्य अभियन्ता कार्यालय में विधि प्रकोष्ठ की स्थापना की गयी।
02.11.1994 मुख्य अभियन्ता (परिवाद) की तैनाती की गयी।
12.03.1996 उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम एवं सेतु निगम के प्रबन्ध निदेशक के पदों को लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियन्ता (स्तर-2) हेतु रिजर्व किया गया।
02.08.1996 राजस्व मण्डल में नवसृजित मुरादाबाद क्षेत्र (बरेली क्षेत्र से पृथक होकर) एवं इलाहाबाद क्षेत्र (कानपुर क्षेत्र से पृथक होकर) का सृजन कर मुख्य अभियन्ता (स्तर-2) के कार्यालय की स्थापना की गयी।
वर्ष 2000 उत्तराखण्ड राज्य के गठन के फलस्वरूप विभाग से पर्वतीय उपसंवर्ग खत्म करते हुये एवं गढ़वाल एवं कुमाऊॅं क्षेत्र को हस्तानान्तरण कर अनुपातिक पदों का उत्तराखण्ड में स्थानान्तरण किया गया।
09.01.2001 भारत सरकार द्वारा संचालित पी0एम0जी0एस0वाई0 के कार्यों हेतु समर्पित खण्डों की स्थापना की गयी।
25.02.2005 लोक निर्माण विभाग में प्रमुख अभियन्ता के तीन पदों क्रमशः विकास, ग्रामीण सड़क तथा परिकल्प एवं नियोजन का सृजन किया गया।
28.08.2008 लोक निर्माण विभाग में मुख्य अभियन्ता (स्तर-2) के अस्थायी दो पदों का सृजन किया गया।
10.09.2013 इण्डो नेपाल बॉर्डर में मुख्य अभियन्ताओं की तैनाती की गयी।